Nov 28, 2009

बरसात



बरसात
में भीगी ये धरती के नए रंग देखो
जादू हैं फैला ज़रा नदियों की हँसी सुनो
बिन तेरे माँ हम कैसे जियें
तेरी गोद में हम चैन से रहें
आजा माँ दिन भर ख़ुशी बरसाने

कोमल हैं तू घनघोर भी तू
बूँद बनके हाथों में नाचे भी तू
आंधी हैं आती जब तुम नाराज़ होती हो माँ
हँसती हो जब हम वर्षिणी गाते हैं माँ
तेरे आँसू प्यास बुझाते
बीजों में भी जीवन लाते

प्यारी जल माता तुम अमृत हो जीवन की जननी
बूँद के गुण से धरती सुन्दर और समृद्ध बन जाती
ममता तेरी, तेरा प्यार
शब्दों के हैं ये पार
सुर भी हो लय भी हो
हम हैं फ़िदा तुझपे
माँ

*****
All rights reserved for the poem. Rahul Soman©

This lyric has been written by Rekha and myself for a tune composed by Maruthi Nambi.

1 comment:

  1. Hi Rahul,

    Your "urugumen",sung by Pradip ji was awesome :).

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